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लेखनी कहानी -05-Aug-2022

सिटी पुलिस स्टेशन करोल बाग समय शाम पांच बजे

"अरे भाई सुंदर तुम्हें पता है क्या, अमन चौधरी पकड़ा गया!" हवलदार राठी ने हवलदार सुंदर को धीमी आवाज में कहा तो सुंदर भी चौंक उठा।

"क्या बात कर रहे हो राठी भाई? यह अमन चौधरी तो वही है ना जिसका पांच महीने पहले कतल कर दिया गया था। उसके पिता जोरावर चौधरी ने खुद पुलिस को बयान दिया था कि उसके(जोरावर) चचेरे भाई शमशेर चौधरी और भतीजे साहिल ने खानदानी दुश्मनी के चलते अमन का कतल कर दिया है तो पांच महीने बाद यह अमन चौधरी फिर से जिंदा कैसे हो सकता है। उस अपरिचित लाश की शनाखत तो खुद उसके पिता ने की थी।"

"हां सुंदर यह वही अमन चौधरी है। चलो छोड़ो हमें क्या? यह परेशानी बड़े साहब की है। उन्हें खुद ही संभालने दो।" बात खत्म होते ही दोनों थाने से बाहर निकल चाय की दूकान पर चले गए।

पांच महीने पहले सुबह करीब सात बजे के आसपास नदी के किनारे वाले जंगल में एक युवक की लाश पड़ी मिली थी। उसके चेहरे को किसी जंगली जानवर ने नोच कर खराब कर दिया था। इस केस में अपना पक्ष मजबूत करने के लिए जोरावर चौधरी ने अपनी पूरी ताकत और दौलत झोंक दी थी। जिस के फलस्वरूप जोरावर चौधरी के बयान और कुछ लोगों की गवाही की बदौलत अदालत ने अमन के कतल करने के जुर्म में शमशेर और साहिल दोनों को दस दस साल कैद की सज़ा सुना दी गई। 
अब पांच महीने बाद अगर अमन चौधरी के जिंदा होने की बात बाहर आती तो सबसे ज्यादा बदनामी पुलिस महकमे की खास तौर पर एसपी अनुराग बासु (कसौटी जिंदगी की वाला) को होती। क्यूंकि उस समय उसने भी जोरावर चौधरी की बातों में आ कर कुछ झूठे चश्मदीद गवाह खड़े किए थे। जिसके बदले उसे एक लाख रुपए प्राप्त हुए थे। अब अगर यह बात बाहर निकल आती तो पुलिस डिपार्टमेंट की बहुत किरकिरी होती। इस लिए उसने अमन चौधरी को एक जाली पहचान पत्र देकर दूसरे राज्य में अपने दोस्त के पास भेज दिए। इस तरह शमशेर की रिहाई का यह आखिरी दरवाजा भी बंद हो गया। 

समाप्त हो गई कहानी भाई चलो सब अपने अपने घर

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5 Comments

Sachin dev

06-Aug-2022 09:08 PM

Very nice 👍

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Gunjan Kamal

06-Aug-2022 07:22 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Raziya bano

06-Aug-2022 01:27 PM

Nice

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